संग संग मोरे साजन पधारे

संग संग मोरे साजन पधारे ,
मुझ बिरहन पर प्रेम पसारे ,
ना कुछ दूजा चाहे मनवा ,
धन धन मोरे भाग उजारे ।१।
ठेस लगी ना ध्यान ठिकाने ,
पकड़ बाह को सजन सवारे ,
ना गिरने से डरता मनवा ,
पल-पल साजन संग हमारे ।२।
पिया धरे ना छोड़े कलाई ,
करू जतन हारी चतुराई ,
जीत पिया की चाहे मनवा ,
झूट-मुठ ही जुगत लगाई ।३।
सूरत पिया की तकते रहना ,
अब काहे सखियन संग जाना ,
बस अपना ही सोचे मनवा ,
सजन मिले सो दूर जमाना ।४।
पिया संग सुध-बुध मै हारी ,
ना  कजरा ना  मांग सवारी ,
अब कहे की खटपट मनवा ,
ना कोई श्रृंगारिक दुरी ।५।
भेद रहा ना संग पिया के ,
ना  सिमित हूँ  पार सभी के ,
अब क्या तन काहेका मनवा ,
मिट जाऊ आनंद समाके ।६।


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