Month: October 2013

  • “उनकी कुर्बानी”

    “उनकी कुर्बानी”

    (2 ) ” उनकी कुर्बानी” ये मेरे आजाद देश के लोगों– ज़रा आखों में लाओं नमी, आज आजाद हुए हम हजारों जवान दिए थे उसदिन कुर्बानी ! यह मत भूलों–ये मेरे वतन के लोगों– कुर्बान हुए थे उसदिन जवान हजारों ; उनकी माँ-बहन और पिता-पुत्र के लिए थोड़ी सी आज लाओं आखों में नमी– मत…

  • सपने धूप के

    सपने धूप के दुश्वर सपने फिर से देखें नयी नवेली धूप के सोने की चिड़िया की क्यों कर मंद हुई परवाजें राह देखते रहे अनेकों खुले हुए दरवाजे जमी वसा को अब पिघलाएं चर्चे हों फिर रूप के काले अक्षर भैंस बराबर चिड़िया चुगती जाती खेत भ्रम बिल्ली से राहें काटें शुतुरमुर्ग सिर डाले रेत…

  • ऐ  मेरी लेखनी

    ऐ मेरी लेखनी

    ऐ मेरी लेखनी आज फिर तू गान कर उनका तू सम्मान कर अपनी खुशियाँ छोड़ कर सारे मोह तोड़कर चल पड़े थे जो कभी वंदना में माँ के जो आज उनका गान कर जिनकी रक्त धार भी बन गयी तलवार सी काट डाली बेड़ियाँ पड़ी जो माँ के के हाथ थी आज उनका गान कर…

  • “कैसा होगा भाग्य देश का”

    “कैसा होगा भाग्य देश का” कैसा होगा भाग्य देश का, शोणित कण जहाँ बरसते हों I निर्दोषों को दण्ड मिल रहा , कातिल स्वच्छन्द विचरते हों II काग़ा जहाँ हंस बन बैठा, कोयल की कूक तरसती हो I स्वाँति पपीहा तकता रहता , घटा गरल बरसाती हो II पीठ से हाय! लहू बरसता, सीने के…

  • मेरे देश

    तेरी मिट्टी ने मुझको बनाया तेरे आँचल ने मुझको छिपाया तू ही जीवन , तू ही परछाई मेरे देश इतनी ममता मैंने तुझसे पाई मेरी साँसों में तेरी धडकन मेरे सीने में समाया एक तेरा ही दिल आसमान से जमीं तक तू ही मेरा हमराही बोली से दिशा तक तिरंगे की यहाँ परछाई मेरे देश…

  • क्रांति की आशा…

    कोयल की मधुर वाणी न मैं श्रृंगार लिखता हूँ कलम को खून से भरकर ग़ज़ल अंगार लिखता हूँ वीरों का यहाँ रुसवा रोज़ बलिदान होता है वतन की आन पर आघात यहाँ नादान होता है कोई सौ क़त्ल करके भी चैन की नींद सोता है कोई मासूमियत का कर फ़ना हो कर के देता है…