Month: July 2014
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आखिर किसके लिए जय हिन्द के नारे लगाऊँ ?
कौन-सी आजादी का जश्न मनाऊँ ? आखिर किसके लिए जय हिन्द के नारे लगाऊँ ? देश की बागडोर राजघरानों के हाथों में, बलात्कारी घूमे खुले बाजारों में, लड़की भ्रूण पड़ी रहे पत्तों-झाड़ियों में, और लाखों करोड़ों के घोटालें हो जिस भारत में, क्या में उस भारत के लिए जश्न मनाऊँ ? आखिर किसके लिए जय…
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एक ऐसा देश हमारा है जो सारे जहाँ से प्यारा है
एक ऐसा देश हमारा है, जो सारे जहाँ से प्यारा है, जहाँ धरती को माता कहते है, ऐसा देश ये न्यारा है, मज़हब चाहे अनेक हो यहाँ, पर फिर भी एक ही नारा है, जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद का ही जयकारा है, हर रोज़ जहाँ उत्सव होते है, नित दिन नयी हर्याली है,…
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माँ
इक मुदद्त हुई माँ तुझे चैन से सोते नही देखा, तकिये पर तेरे आँसू थे माँ , तुझे रोते नही देखा. खुद के लिए जीना तो तूँ जानती ही कहाँ थी, पर अब अरसे बीत गये माँ तुझे अपने लिए कभी खुश होते नही देखा. मेरी हर ग़लती पर माँ जो तूँ धीमा सा मुस्कुरकर…