Month: May 2018

  • आखिर कौन हो तुम?

    आखिर कौन हो तुम?

    मेरे पास शब्द  नहीं है कुछ जताने को,      तुम मेरे कौन हो ये तुम्हें समझाने को | जिसे मैं खुली आँखों से देखती हुँ,     वो हसीन  खबाव हो तुम | या जिसका जबाव मैं सपनों मे भी धूधंती हुँ,    वो जटिल सवाल हो तुम | मेरी हर दुआँ , मेरा हर…

  • है शर्म की बात किसके लिए??

    है शर्म की बात किसके लिए??

    हैं सरहदों पे जो जागते बस यही दुआ वो मांगते खुश रहे हर एक वो जो हैं जुड़े इस राष्ट्र से सम-विषम परिस्तिथियों में भी जो हैं पड़े,जो हैं अड़े जो हैं अड़े,रह कर खड़े है चाह नही उनकी कुछ भी बस देश पर उनके कोई न चढ़े जो अपनी साडी चाह मारकर लड़ते हैं…

  • अगाध

    अगाध

    दिल की गेहराई मे देख जरा। अंदर जो जल रहा ,उसे रोख जरा जला तो राख सा तू,दिये के साये मे तू।। दिल की गेहराई मे देख जरा। उठी है जो लेहरे अंदर, उसे तू पहचान जरा डुबा तो लाश सा तू,यादो के अंगण मे तू।। दिल की गेहराई मे देख जरा। हाथ अपनो का…