Month: November 2020
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Broken heart
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Hamare rishte
Woh hamari raah me aaye Jo lamhe humne savare the sapno me liye Raaho me khogaye the Waqt ne hame niwaza Jo inhi chutkule si baato me Humne likh diya un yaado ko Umeed se bane hue riste bante he Bekhar ne ke liye
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Ehasas pyaar ka
guzare hue pal unko yaado me kabhi toh Mukammal karege jinse unhe apne andar samae tasveer ko parakh ne me aur pahechan kar ke dilasa hoga na jane ki ek kavita ka matlab uss didar bhare eqaraarr par hoga
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काला जादू।
दुनिया के अंत पर कयामत की रात ब्रह्मांड के ढह जाने के बाद आप क्या सोचते है प्यार रहेगा या रह जाएगा खुदा का अस्तित्व या फिर अच्छाई घूमेगी इस कोने से उस कोने तक संतो की मंत्रोच्चारण गूंजेगी चहु ओर या धर्म का होगा राज्याभिषेक दानियों को सौंपा जाएगा ये शून्य राज्य या यज्ञ…
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मै वापिस आऊंगा…
शायद ज़िंदा, या शायद मुर्दा, मै वापिस आऊंगा | तिरंगा लहराकर, या तिरंगे में लिपटकर, मै वापिस आऊंगा | चुनौतियों से नहीं डरा कभी, तो मौत से क्यों घबराऊँगा ? फ़ौज के सामने निहथ्था लड़कर भी, मै वापिस आऊंगा | दिल-ओ-जान कुर्बान तुझपे, ए माँ ! तुझे ना भूल पाउँगा | युद्धभूमि तो क्या; जन्नत…
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कयो इंसानियत ने मार ङाला इंसानियत ने इंसानियत कयो
इंसानियत ने खींच दी नफरत की दीवार , सजा दिए दो मुल्क नफरत की बुनियाद पर , तोड़ दिया हिंदुस्तान के दिल को टुकड़ों में । कहीं याद किया अल्लाह को , तो कहीं राम को । कही बने चाचा नेहरू तो कहीं मोहमद जिन्नह खड़ी कर दी नफरत की दीवार और मार डाला इंसानियत…
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ए वतन दिल तेरा
ऐ वतन दिल तेरा आग दिल में हैं लगी जोश मन में है भरा खून से लिखेंगे हम , ऐ वतन दिल तेरा वक़्त माना है कठिन, सिर उठाती मुफ़लिसी झोपड़ी बिलख रही पर जा बसी महलों ख़ुशी नौकरी का प्रश्न है मज़दूर भी मजबूर हैं कोरोना के काल का यह दुश्मन नासूर है रास्ता…
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वो धरा भारत भूमि कहलाती है
सागर से जलकलश भर मेघमाला प्यास धरती की बुझाती है जहाँ हिमशिखरों से ओम की प्रतिध्वनि गूंजा करती है वो धरा भारत भूमि कहलाती है जहाँ अथाह सागर की गरजती लहरों में नदियों की कलकल ध्वनि में महासिन्धु के गहन गम्भीर उद्घोष में मंत्रो की प्रतिध्वनि गूंजती है वो धरा भारत भूमि कहलाती है जहाँ…
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धर्म युद्ध
ये सियासत ने जो दीवार खड़ी की है, ये दीवारें असली नहीं है। जो उनके साथ नहीं थे उनमें कुछ के हड्डी नहीं है,कुछ के पसली नहीं है।। इतने में भी उनको तसल्ली नहीं है । ये धर्मयुद्ध में ये मत पूछो कितने के घर जली नहीं है।। सन्नाटें हैं हर तरफ, खून बही किस…