Author: Ashish

  • क्रांति की भीख

    क्रांति की भीख

    हे अर्जुन अब तू जाग-जाग हाथों में ले कर आग-आग उस कुरुक्षेत्र ने दी पुकार सुना गांडीव की वही हुंकार दुर्योधन बहुत इस देश में दुस्शाशन फिर उसी वेश में अब की न फिर तो सोच बहुत कधों पर है ये बोझ बहुत जो होगा तो मौन फिर गीता कहेगा कौन फिर हैं कृष्ण नहीं…