Author: marut

  • धरती ये रोशन हो

    धरती ये रोशन हो

    कितना सहा है इसने, बरसों से रात का डर | कोई तो सुबह हो अब कि धरती ये रोशन हो || ये तंत्र हो चुका है, जर्जर, गुलाम तम का | कुछ दीप तो जलें यूँ, अंधेरा ये दफ़न हो || कोई तो सुबह हो… नेत्रत्व करे जग का, विज्ञान ज्ञान अपना | मेधावियों का…