Author: Ravi

  • “जनता की ललकार”

    “जनता की ललकार”

    “जनता की ललकार” माँ अम्बा और बजरंगबली के सेवक हम, तांडव से प्रचंड परसुराम के वंशज हम, गर हुए सवार आक्रोश के ऐरावत पर , तो अपनी असली औकात बता देंगे हम, औ, कान खोलकर सुनलो सत्ता के मद में मदहोशों, गर लौट-आये जोश में इक-बार तो फिर, इस भ्रष्टतंत्र की शक्ति का सच्चा अनुपात…