Mindblown: a blog about philosophy.

  • “देश को तुम पर नाज़ है “

    “देश को तुम पर नाज़ है “

    “देश को तुम पर नाज़ है ” घर से दूर, अपनों से दूर… चल पड़ते हैं, ये एक जुनून लिए… सो सकते हैं चैन से घरों में, तब हम सब सुकून लिए… मुल्क की हिफाजत, बस यही एक चाहत… रूके ना कदम इनके, चाहे जैसी भी हो आफत.. डटे रहते हैं, लगे रहते हैं, धूप,…

  • पुलवामा

    देश के दुश्मन का यह पीठ पीछे का वार, पुलवामा में हमारे जवानों पर क्रूर प्रहार। कैसे कोई कर सकता था इसको मुआफ़, बालाकोट में कर दिया इनका सूपड़ा साफ। भविष्य में भी जब-जब होगी ऐसी वारदात, दुश्मन रख ले अब गांठ बांध करके ये बात। तुम अगर एक को मारोगे तो दस को हारोगे,…

  • Hold my hand Mummy

    God bless mummy, God bless mummy Hold my hand, hold my hand Teach me the basics, teach me the basics, And then let me learn, and then let me learn Hold my hand mummy, hold my hand mummy Cheer me up, cheer me up When I am feeling sad, When I am feeling sad Dry…

  • सैनिक:हमारे रक्षक

    सैनिक:हमारे रक्षक

    सैनिक:हमारे रक्षक। जान हथेली पर लिए औरों के लिए जो फिरते है दैनिक। कोई और नहीं मेरे पाठकों वे होते हैं सैनिक।। इनके लिए होता है देश हीं है पूरी कायनात। इसी की सेवा हेतु सीमा पर रहते हैैं तैनात।। हमारी ही भांति होता इनका भी तो परिवार है। परन्तु क्या करें ये भी सेवा-भाव…

  • है सारे जग से न्यारा यह भारत देश हमारा

    है सारे जग से न्यारा यह भारत देश हमारा

    है सारे जग से न्यारा यह भारत देश हमारा दिन-रात अर्चना करता सागर अपनी लहरों से चंदन माथे पर रखता गिरिवर निज हिमशिखरों से अमरत्व दिया नदियों ने बन-बन कर अमृत-धारा फलती हैं सब संस्कृतियाँ इसकी उर्वर धरती में पलती हैं सौ भाषाएँ इस ममतामय गोदी में अनगिन त्योहारों से है जगमग हर इक पखवारा…

  • भारत-भूमि

    भारत-भूमि

    भारत-भूमि भारत की इस देवभूमि को, जगजननी! बारम्बार नमन। ये दिव्य शांति की दीपशिखा, कर दे मन-अंधकार शमन।। धन्य रहा वो जीवन जिसने, इस दिव्यभूमि में जन्म लिया। ज्ञान जोत से इस नैया का, हो निर्भय पर-संसार गमन।। संस्कार साथ जो लाए थे, इस धरती पर जब आए थे। वो जोड़ो जो मन स्थिर कर…

  • राष्ट्रीयता पर 20 दोहे

    राष्ट्रीयता पर 20 दोहे

    राष्ट्रीयता पर 20 दोहे बड़ी पुरानी सभ्यता, भारत की पहचान। बहुरंगी झाँकी मिले, बनी विविधता शान।। प्रगति आर्थिक सामाजिक, दिखते बहुआयाम। भारत नित आगे बढ़े, जग में फैले नाम।। राष्ट्रीय पहचान के, परिचय और प्रतीक। मूल विरासत चिन्ह से, जागे भाव सटीक।। गर्व हृदय अति जागता, गौरव-गाथा देख। पृथक रही छवि देश की, पृथक रहा…

  • राष्ट्रीयता

    राष्ट्रीयता (मुक्तक) देश में जो बाहरी बहुरूपता है, अन्तःकरण में उसी के एकता है। ऐ विघटनों के प्रवक्ताओं जान लो, ये बड़ी सुलझी हुई परिपक्वता है।। इस धरा पर वास करते देवता है, विश्व सारा मान करता पूजता है। हिन्द में है बात कुछ ऐसी अनोखी, सर झुका देता इसे जो देखता है।। इन हवाओं…

  • तुम्हें अपना बना लेना

    तुम्हें अपना बना लेना

    तुम्हें अपना बना लेना, चाहत नहीं थी मेरी, तेरा पास से गुजर जाना ही काफी था। साथ बीते पूरा दिन तेरे, ख्वाहिश नहीं थी मेरी, तेरा ख्वाब में आ जाना ही काफी था। घंटो बातें हो तुझसे, ज़रूरत नहीं थी मेरी, तेरी नज़रों से नज़रें मिलाना ही काफी था। देखूं मैं पूरी दुनिया, सपना नहीं…

  • जानवरों का इंसानो से सवाल

    जानवरों का इंसानो से सवाल

    वो कहते हैं कि जानवर ही तो है, जानवर हैं तो क्या हम में जान नहीं, क्या हमारी कोई पहचान नहीं, शायद हमारे दर्द का तुमको कोई भान नहीं, हमको भी दर्द सताता है, हमको भी रोना आता है, और तुम कहते हो हमको कोई ज्ञान नही, हम जानवर हैं तो क्या हम में जान…

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