ॐ
अरे हिंद के वीर जवां !
अपने ख़ून की गरमी दिखलादे तू आज जहान को !
अमन की बातें भूलजा प्यारे ! दिल में रख तूफ़ान को !
अरे हिंद के वीर जवां ! पहचानले अपनी आन को !
अपने पुरखों के गौरव को , गरिमा को , अभिमान को !
आंख दिखाने वाले दुश्मन की आंखें तू फोड़दे !
अकड़ दिखाने वाले ढीठ की गरदन आज मरोड़दे !
देख तू उसकी शैतानी , मत देख कुटिल मुस्कान को !
अरे हिंद के वीर जवां ! पहचानले अपनी आन को !
बार-बार मुंह की खा’कर भी जिसको शर्म नहीं है
अबके उसका अहम तोड़दे , तेरा धर्म यही है !
अमर तुम्हारी रहे जवानी ; मिटादे हर हैवान को !
अरे हिंद के वीर जवां ! पहचानले अपनी आन को !
नहीं अकेला तू सीमा पर ,बच्चा-बच्चा तेरे साथ !
टकराए दो अरब बाज़ुओं से , किसकी इतनी औक़ात ?
फिर भी मरने आए दुश्मन ; सौंप उसे शमशान को !
अरे हिंद के वीर जवां ! पहचानले अपनी आन को !
ओ प्रताप के पूत ! न अपना शीश कभी झुकने देना !
वीर शिवा के वंशज ! घर और सीमा पर चौकस रहना !
ओ लक्ष्मी के लाल ! संभालले अपने हिंदुस्तान को !
अरे हिंद के वीर जवां ! पहचानले अपनी आन को !
ओ वीर बांकुरे ! जवां बहादुर ! राष्ट्र के प्रहरी ! ओ सैनिक !
ओ जल थल नभ के रक्षक ! देश के बेटे ! देश के ओ मालिक !
तेरे होते’ कहां कोई भय भारत भूमि महान को ?!
अरे हिंद के वीर जवां ! पहचानले अपनी आन को !
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