देशभक्ति
याद आती देश की ,
अब केवल दो रोज,
देश पर मर मिटना,
हुई एक घटिया सोच.
कैसे कहूँ? अब मैं ,
देश मेरा महान है,
भ्रस्टाचार, आतंकवाद ,महंगाई से,
जूझता हर इन्सान है.
आज देशभक्ति के नाम पर,
गाने बजा दिए जाते है,
बस जय हिंद बोलकर ,
कम चला लिए जाते है.
लोकतंत्र से विश्वास अब,
उठता ही जाता है,
आम आदमी हमेशा खुदको ,
ठगा ही पता है.
यार किसे हम वोट दे,
सभी की एक है करनी,
देश से पहले हमेशा,
खुद की जेब है भरनी.
अपने दिल की भड़ास ,
आज मैं निकलता हूँ ,
दिल के दर्द को,
कविता द्वारा सुनाता हूँ.
कसाब जैसे आतंकवादियों को,
जेल में रखकर पला जाता है,
आम आदमी को सड़क पर,
खुलेआम मारा जाता है.
कंधार , संसद ,ताज,
भुलाये नहीं भूलता है,
आज भी वो दिन दिल में,
शूल जैसे चुभता है.
आज जेहन में ये आता है,
शायद घर वापस जा ना पाऊ,
रेल में , बस में या सड़क पर,
कहीं बेमौत ना मारा जाऊ.
आज मैं खुद को ,
बहुत बेबस पता हूँ,
चाह कर भी देश के लिए,
कुछ नहीं कर पता हूँ.
बहुत विचार करके मेरे,
दिमाग में ये आता है,
ईमानदारी से अपना कम करना ही,
देश सेवा कहलाता है.
बहुत नहीं तो थोडा करे
करे जो भी मन से करे,
खुद से ईमानदारी सदैव,
अपने मन में धरे.
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