देश

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देश

देश लिखा नहीं जाता
देश पढ़ा नहीं जाता
देश जिया जाता है
देश प्रेम जब पीया जाता है
लाख चट्टानों के गिरने से
देश दिया नहीं जाता
दो टुकडों की लड़ाई में
बंजर खेतों की जुताई में
इंसानों को धागों सा सिया नहीं जाता
तोड़ने की कोशिश में लगकर
जोड़ने का परिचय दिया नहीं जाता
देश लिखा नहीं जाता
देश पढ़ा नहीं जाता

पैसों की चमक से
न शहर न गावं से
देश नहीं डरता किसी अलगाव से
जुड़कर ,बना मिलकर रहा
न कभी झुकेगा न कभी झुका
गिरकर सर उठाया नहीं जाता
सपनो को कभी दबाया नहीं जाता
हर शहीद ने इतिहास लिखा
गर्व से भरी यहाँ हर इक माँ
ममता की छाँव ये देश मेरा
तेरे लिए मेरे लिए
हर सैनिक सरहद पर खड़ा
वीरो को डर से डराया नहीं जाता
गद्द्दारो को घर में बसाया नहीं जाता

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