माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है
माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है
हम सबने मन में ठाना है,
नफरत को दूर भगाना है,
जग में परचम फहराना है
माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है!
अंतिम घर में भी उजाला हो,
हर मुहं के पास निवाला हो,
प्रेम तराने हम गायें,
मंदिर-मस्जिद मिल मुस्काएं,
सन्देश यही फैलाना है
हम सबको हिलमिल जाना है
भारत को आगे आना है
दुनिया में नाम कमाना है
माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है!
हम सब माली इस बगिया के,
मिलकर के कदम उठाएं,
ये नागफनी खरपतवारें
अब नज़र नहीं यहाँ आयें
भ्रष्टाचार मिटाना है
दुश्मन को दूर भगाना है
दहशत को भी धमकाना है
माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है!
सरहद पर चोकस वीर रहे,
हरदम अपना कश्मीर रहे
गंगा जमुना में नीर रहे
अबला का चोकस चीर रही
चमन हमें तो सजाना है
तितली को भी मुस्काना है
भवरों को नगमें गाना है
नव इंद्र धनुष रच जाना हैं
माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है!
केसरिया रंग ने ये बोला,
तुम स्वाभीमान अपनाओ,
श्वेत शांत और हरे रंग संग
चक्र चलाते जाओ
कवियों को कलम चलाना है
पुरखों का मान बढ़ाना है
वन्देमातरम गाना है
माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है!
माँ भारती तेरे चरणों में, हम अर्पित है!
किशोर पारीक “ किशोर”
9414888892
जयपुर
(2)
मेरे भारत को तुम देना , खुशियॉं अपरम्पार
देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,
मेरे भारत को तुम देना , खुशियॉं अपरम्पार ।
मिटटी, अंबर,आग, हवा, जल, में मॉं नहीं जहर हो,
सूखा, वर्षा, बाढ, सुनामी का मां नहीं कहर हो,
रितुऐं, नवग्रह, सात स्वरों की हम पर खूब महर हो,
धरती ओढे चुनरधानी, ढाणी, गांव, शहर हो,
दशो दिशाओं का कर देना, अदभुद सा श्रंगार ।
देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,
मेरे भारत को तुम देना , खुशियॉं अपरम्पार । ।
शब्दों के साधक को देना, भाव भरा इक बस्ता
मुफलिस से मॉं दूर करो तुम, कष्टों भरी विवशता
तितली गुल भवरों को देखें, हरदम हंसता हंसता
दहशतगर्दों के हाथों में भी दे मॉं गुलदस्ता
कल कल करती मां गंगा फिर, मुस्काये हर बार
देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,
मेरे भारत को तुम देना , खुशियॉं अपरम्पार ।
मंदिर के टंकारे से, निकले स्वर यहॉं अजान के
मस्जिद की मिनारें गायें नगमें गीता ज्ञान के
मिलकर हम त्योंहर मनाऐं, होली के रमजान के
दुनियां को हम चित्र दिखाऐं ऐसे हिन्दुस्तान के
अमन चैन भाई चारे की, होती रहे फुहार
देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,
मेरे भारत को तुम देना , खुशियॉं अपरम्पार ।
किशोर पारीक “ किशोर”
9414888892
जयपुर
(3)
मांगे फूल मिलें है खार,
मांगे फूल मिलें है खार,
इनसे कैसे हो सृंगार!
रक्त सना है गोपी चन्दन, थमी धड़कने चुप स्पंदन
कैसी संध्या, कैसा वंदन, आह, कराह, रुदन है क्रंदन
लुप्त हुए है स्वर वंशी के, गूंजा भीषण हाहाकार
मांगे फूल मिलें है खार,
इनसे कैसे हो सृंगार!
दहके नगर बाग, वन-उपवन,आशंकित आकुल है जन-जन
गोकुल व्याकुल शंकित मधुबन,कहाँ छुपे तुम कंस निकंदन
माताएं बहिने विस्मित हैं, छुटी शिशुओं की पयधार
मांगे फूल मिलें है खार,
इनसे कैसे हो सृंगार!
लड़ती टोपी पगड़ी चोटी, बची इन्ही में धर्म कसोटी
मुश्किल चूल्हे की दो रोटी, अबलाओं पर नज़रे खोटी
सपनो के होते है सोदे, अरमानो के है व्यापार
मांगे फूल मिलें है खार,
इनसे कैसे हो सृंगार!
बदला नहीं कोई मंज़र, केवल बदले हमने कई कलेंडर
संसंद में गाँधी के बन्दर, बेशर्मी से हुए दिगंबर
थमा सूर तुलसी का सिरजन, अब बारूदी कारोबार
मांगे फूल मिलें है खार,
इनसे कैसे हो सृंगार!
किशोर पारीक “ किशोर”
9414888892
जयपुर
(4)
नई सुबह के पन्नो पर, में अपने मन के मीत लिखूंगा
वंदन मिले ना, चाहे मुझको, चन्दन मिले ना चाहे मुझको
नई सुबह के पन्नो पर, में अपने मन के मीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
बादल चाहे कितना गरजे, सूरज से भी अग्नि बरसे
अपने माँ के अनुपम गुंजन, से में नवनीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
थक कर चाहे सो जाऊंगा, जग कर फिर लिखने आऊँगा
करदे सराबोर सब जग को, ममतामय में शीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
मोसम तो आये जायेंगे, मुझको कहाँ हिला पाएंगे
अग्नि का जो ताप भुजादे , कागज़ पर में शीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
इस बगिया की आंगन क्यारी, मुझको प्यारी हर फुलवारी
हर रिश्ते में जान फुकदे, ऐसी सुन्दर रीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
ओ चिराग गुल करने वालों, चाहे जितना जोर लगालो
जगतीतल को रोशन करदे, ऐसे उज्वल दीप लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
सागर जितना में गहरा हूँ, अम्बर जैसा में ठहरा हूँ
वर्तमान को सुरभित करदे, अनुपम वही अतीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
चाहे शब्द कहीं खो जाये, स्वर मेरे चाहे खो जाये
फिघलती पावक पर बैठा, में फिर से नवनीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
वंदन मिले ना, चाहे मुझको, चन्दन मिले ना चाहे मुझको
नई सुबह के पन्नो पर, में अपने मन के मीत लिखूंगा
में धड़कन के गीत लिखूंगा
किशोर पारीक “ किशोर”
9414888892
जयपुर
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