“मातृभूमि”
ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम , ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम ,
चरणों को धोता है सागर , उस महासिंधु को शत प्रणाम,
जिस धरा पे बहती भागीरथी, उस धरा को मेरा है प्रणाम ,
आँचल को छू के बहे पवन , उस पावन पवन को है प्रणाम,
ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम, ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम.
पियूष कुम्भ वक्षस्थल में नेत्रों में ममता की धारा,
वलिष्ठ भुजाएं भीम भीष्म दुश्मन को सदा ही संघारा ,
मस्तक शोभित हिमराज करे , उस हिमालय को लक्ष प्रणाम,
ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम, ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम.
पावन संगम सब धर्मों का , वह स्वर्ग यहीं ऐ मातृभूमि ,
इन्द्रधनुष आँचल तल में, सबको संबल ऐ मातृभूमि,
पाता है अमृत तुझसे, ले ईश्वर या अल्लाह का नाम,
ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम, ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम.
ऋचाएं वेद पुराणों की, कानों में तू अविरल भर दे,
गीता के गुप्त रहस्यों को , सुलझाकर माँ मुझको वर दे,
तेरे आँगन में पले बढे नानक, गौतम, श्रीकृष्ण, राम
ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम, ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम.
चाह नहीं इन्द्रासन की, ना स्वर्ग की मुझको है आशा,
हर जन्म मेरा भारत भू पर , ये मेरी अंतिम अभिलाषा,
जिस लहू से सींचा है मुझको, उस लहू को मेरा कोटि प्रणाम ,
ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम, ऐ मातृभूमि तुझको प्रणाम.
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