“मिली नहीं है आज़ादी हमको यूँ ही दान”
मिली नहीं है आज़ादी हमको यूँ ही दान
इसके लिए लुटा दिए लोगों ने प्राण
सबके अन्दर गूंज रहा था मुक्ति का जयघोष
लाजपत,गोखले ,तिलक व् सुभाष चन्द्र बोस
तब जाकर पाया हमने सुखमय ये परिणाम
इसके लिए लुटा दिए लोगों ने प्राण .
भटके वन -वन प्रताप पर मांगी नहीं दुहाई
नन्हें से बालक ने उनके घास की रोटी खाई
शिवाजी ने मराठों को एक डोर से बांधा
पाया लक्ष्य उन्होंने,जो था मन में साधा
बड़ी कठिनाई से पाया देश ने खोया मान
इसके लिए लुटा दिए लोगों ने प्राण.
आज़ादी की नींव में दबे बड़े हैं मोती
दुर्गावती ,लक्ष्मीबाई ,चेनम्मा हैं सोती
बनाई योजना क्रांति की कर दिया आगाज़
गूंजी नाना ,तात्या टोपे ,कुंवर की आवाज़
आन्दोलन नेत्रत्व हेतु शाह जफर का नाम
इसके लिए लुटा दिए लोगों ने प्राण
रोटी फूल कमल का विद्रोह का निशान बना
संघर्ष के लिए ३१ मई सन .७५ का दिन चुना ,
आज़ादी की ज्वाला ने सबको लिया लपेट
बैरकपुर ,मेरठ ,दिल्ली ,कानपूर समेट
की नहीं परवाहअपनी जला दिए अरमान
इसके लिए लुटा दिए लोगों ने प्राण .
आज़ादी की बलिवेदी पर करोड़ों हैं शीश चढ़े
माला में इसकी राम ,अशफाक ,भगत जड़े
स्वतन्त्रता संग्राम में साथ लड़े नर-नारी
दुर्गा भाभी ,भिकाजी कामा,अरुणा आसफ अली
बापू ,टैगोर ,बंकिम चंद लम्बी है दास्तान
इसके लिए लुटा दिए लोगों ने प्राण .
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