लोकतंत्र का पर्व अबकी ऐसे मनाया जाये
शत्रुओ को देश के जड़ से मिटाया जाये
हिन्दू ,मुस्लमान ना सिक्ख ना इसाई
कौम से पहले राष्ट्र को लाया जाये
सबके लिए हो रोटी ,सबके लिए हो शिक्षा
सबके लिए बराबर कानून बनाया जाये
अलग अलग लड़ने से कुछ नहीं हासिल
साथ मिलके पहले भ्रस्टाचार मिटाया जाये
छुपे हुए है भेडिये जो, खादी की आड़ लेकर
चेहरे से उनके अबकी ,नकाब हटाया जाये
एक बार “इन्कलाब ” का नारा बुलंद करके
चोरों को संसद से मार भगाया जाये
भूल चुके है अपने अधिकार को जो लोग
ऊँगली पकड़ के उनको “बूथ ” पे लाया जाये
जाती ,धरम और द्वेष का भेद भुलाकर
योग्य उम्मीदवार पर ही “बटन ” दबाया जाये
लाख रास्ता है कठिन ,दूर मंजिल है सही
चलो अबकी खुद को आजमाया जाये
आँखों में आस भरके “सागर” निहारता है
चलो अबकी देश बचाया जाये , देश बचाया जाये …..
संजीव सिंह “सागर”
लोकतंत्र का पर्व …
Posted by sanjeev
September 25, 2012
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