विशाल लोकतंत्र के गगन पे नवविहान है.
सपूत मातृभूमि के भरो नयी उड़ान है.
ह्रदय में गर्व की तरंग स्वर्णमय अतीत पर.
कदम बढ़ें सुमार्ग सत्य शान्ति औ सुनीति पर.
यकीन ध्रुव रहे सदा मनुष्यता की जीत पर.
युगल अधर मुखर रहें ये मातृभू की प्रीत पर.
वक्ष पर सहन किये असंख्य घात काल के.
स्वबन्धुओं की फूट के विदेशियों की चाल के.
अनेक हैं परन्तु एक व्यंजनों से थाल के.
अनेक रूप रंग के विहंग एक डाल के.
तेरे बलिष्ठ बाहुओं पे देश को गुमान है.
सपूत मातृभूमि के भरो नयी उड़ान है.
विशाल लोकतंत्र के गगन पे नवविहान है.
सपूत मातृभूमि के भरो नयी उड़ान है.
आज पुण्य पर्व पर सुनो कथा पुनीत है.
सिखा दिया ‘महात्मा’ ने भय के पार जीत है.
बिगुल बजा स्वतंत्रता गली गली समर ठनी.
शहीद वीर सैनिकों के रक्त से मही सनी.
हरेक जाती धर्म के अबाल वृद्ध बालिका.
बढे पुनीत पंथ पर ले प्राण पुष्प मालिका.
अदम्य शौर्य का सुफल मिला हुए नयन सजल.
वसुंधरा पे वन्दिनी के मुक्ति के खिले कमल.
फहर फहर फहर उठा तिरंगा स्वाभिमान है.
सपूत मातृभूमि के भरो नयी उड़ान है.
विशाल लोकतंत्र के गगन पे नवविहान है.
सपूत मातृभूमि के भरो नयी उड़ान है.
तू शिल्पकार देश की समृद्धि के मकान का.
है जागरूक संतरी हमारी आन बान का.
लहलहाते खेत राजमार्ग पुष्प क्यारियाँ.
हुनर तेरे ही हाथ का ढ़ो रहा सवारियाँ.
तू रुग्ण मानवों के हेतु जग रहा अहर्निशा.
विपत्ति आपदा में भूल भूख क्लान्ति औ तृषा.
लहू की बूँद जब तलक है तन में ऐसी आन कर.
जियेगा देश के लिए यही जिया में ठान कर.
अमर रहे अनादि काल तक सुकीर्ति गान है.
सपूत मातृभूमि के भरो नयी उड़ान है.
विशाल लोकतंत्र के गगन पे नवविहान है.
सपूत मातृभूमि के भरो नयी उड़ान है.
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