ऐ खुदा तेरी इस बसती में ,अब हराम चलता है
जिसम बेचे तो ग़ाली,ज़मीर बेचे तो सलाम चलता है
जब से आई है आज़ादी बदला बदला सा है दसतूर
अब हर ग़ुलाम के संग यहां इक ग़ुलाम चलता है
हर नुकड़ बाज़ार सजा है चमड़ी के ख़रीददारो का
मुन्नी हो या शीला यहां सब का इक दाम चलता है
कौन लिखेगा झूठ को झूठा कौन लिखेगा सच्च को सच्चा
कलम बिकती है हर तरफ़ बिका कलाम चलता है
मत घबरा भारतवरश अच्छा है हम सब राज़ी हैं
बसक इनसां गुम है ,बाकी धंधा तमाम चलता है – rajpaul sandhu
Ashish Naithani
Waah !!! Bahut Khoob !!!
Reet
Heart touching poem,nice written..!!
Reet
Heart touching poem,nice written
Birpal Somal
Words of truth in poetic form…great job.
gagandeep
bahut khoob …sach hai aur likha bhi karara hai ekdum!!!