उससे इज़हार किया फिर मनाया देर तक

उससे इज़हार किया फिर मनाया देर तक
उसने भी फिर मुझे कई रोज़ देखा देर तक

कैसे दंग रह गया वो देखकर मुझे
जब उसके मना करने पर मैं मुस्कुराया देर तक

अब चलते हुए दिख जाए रास्तो में अगर
मैं भी साथ चलता हुं चुपचाप देर तक

कभी मुझसे बात हो जाएं इत्तेफाक़ से अगर
तो लगता हैं युही वक्त ठहर जाए देर तक

दरख़्तो के साये मैं बैठकर लिखता हूं आजकल
तमन्ना हैं मेरी वो भी मुझे कभी पढहे देर तक

आकाश (मुसाफिर)


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