ऐ वतन दिल तेरा
आग दिल में हैं लगी जोश मन में है भरा
खून से लिखेंगे हम , ऐ वतन दिल तेरा
वक़्त माना है कठिन, सिर उठाती मुफ़लिसी
झोपड़ी बिलख रही पर जा बसी महलों ख़ुशी
नौकरी का प्रश्न है मज़दूर भी मजबूर हैं
कोरोना के काल का यह दुश्मन नासूर है
रास्ता भटके नहीं मंजिले को पाना है
दृढ़ इरादों की डगर आग सुलगाना है
हारना सीखा नहीं है , खून भी उबल रहा
तेरे लिए जियेंगे हम , ऐ वतन दिल तेरा
हृदय में गर्व है भरा स्वर्णमय अतीत पर
शौर्य गाथा हम कहें भगत, सुभाष, प्रीत पर
अनेकता में एक ही , हिन्द की पहचान है
बापू भी सिखा गए देश स्वाभिमान है
हिन्द सांसों में बसा माँ ही मेरी आरजू
कतरा कतरा खून का, धरती माँ की जुस्तजू
सीना ताने हम खड़े बलिष्ठ बाजुओं में जान है
गीत गाओ जोश के , तिरंगे का सम्मान है
ना झुकेंगे हम कभी प्रीत है वसुंधरा
कदम बढे सुमार्ग पर ए वतन दिल तेरा
यह नौजवान देश के समृद्ध शिल्पकार है
सैनिक सीमा पर लड़ें कोविड वॉरियर् स्वर्णकार है
हरेक जाति धर्म के विपत्ति में प्रबल रहे
भूख तृष्णा आपदा आत्मबल से चल रहे
हुनर सभी के हाथ है ना हुए कभी विचल
जीत का बिगुल बजा देश के प्रहरी बने अचल
वक़्त इम्तिहान ले रहा मन को अपने ठान लो
विजय पथ पर चल रहे, काल, बीतेगा मान लो
अमर ज्योति जल रही है आन ही मेरी धरा
कफन बांधे हम चले ए वतन दिल तेरा
आग दिल में हैं लगी जोश मन में है भरा
खून से लिखेंगे हम , ऐ वतन दिल तेरा
शशि पुरवार
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