लोकतंत्र का स्वाभिमानी,
भारत देश महान है,
छोड़ दी जीत में मिली जमीन भी,
वाकिफ इससे सारा जहान है।
फिर भी न माने दुश्मन,
नोच लिया जिस टुकड़े को,
अभिन्न अंग है ये जिसका,
वो प्यारा-सा हिंदुस्तान है।
लेकिन कुछ सियासी पिल्लों ने ,
मचाया अपने घर में घमासान है,
और फिर से अलग कर दिया उसे
मस्तक है जिसका, वो हिंदुस्तान है।
मेरे देश में यह धरती की जन्नत कहलाता था,
स्वर्ग भी इसके सामने फीका पड़ जाता था,
केसर की क्यारी और देवों की नगरी था,
भारत के हर मानव -दिल का यह जिगरी था।
लेकिन उन पिल्लों को क्या पता था
एक दिन ऐसा तूफान जो आएगा,
बना के रखा था जिन्होंने स्वर्ग को जहन्नुम,
उनका अलग देश और संविधान का,
अटूट सपना भी चोपट कर जाएगा ।
कहता था जो सीना है छपन इंच का,
उसकी अग्नि परीक्षा का दिन आएगा,
और 370 में लिपटा हुआ कश्मीर भी,
अब भारत का अभिन्न अंग हो जाएगा।
लहराओ तिरंगा खुले दिल से अब,
भारत सारा एक है,
देख रहा है सयुंक्त राष्ट्र संघ भी,
भारत के लोकतंत्र की शक्ति को,
भले ही इसमे राज्य अनेक है।
आजाद हुआ भारत ,
आज सही मायने में,
खिला है केसर का फूल
और महक दिलों के आईने में,
कहता है ये आनन्द का विवेक है,
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
अब भारत सारा एक है।।
जय भारत , जय माँ भारती, जय लोकतंत्र,
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