“देश का फौजी”
देश पर हमला हुआ ,
बुलाओ फौजी को !
कहीं दंगे-फसाद हुए ,
बुलाओ फौजी को !
बाढ़ आ गई ,
बुलाओ फौजी को !
कहीं पुल गिर गया ,
बुलाओ फौजी को !
बड़ा प्रोग्राम है ,काम जल्दी ख़त्म करना है ,
चिंता क्यों करते हो ,बुलाओ फौजी को !
यहाँ मुसीबत ,वहाँ आपदा
बुलाओ फौजी को !
जब हर बार मुसीबत आने पर
फौजी को बुलाया जाता है
तो क्यों इन फिल्मस्टार्स ,क्रिकेटर्स और ना जाने किस किस को
हर जगह चीफ गेस्ट बनाकर बुलाया जाता है।
कभी सुना है कि किसी जगह फौजी को चीफ गेस्ट बनाया गया है ,
नहीं सुना होगा
क्योंकि इन्हें तो बस मुसीबत के पल ही याद फ़रमाया गया है।
अरे ये तो फौजी हैं ,
इनका तो काम ही है मरना |
ज़्यादातर लोगों की सोच कुछ ऐसी है।
ऐसा नहीं की इन फौजियों को ये बात नहीं पता
पता उन्हें सब है
फिर भी हम जैसों के लिए
ये अपनी जान हथेली पर लिए चलते हैं।
ऐसा कई दफा सुना है
कि फौजी दिमाग ज़्यादा इस्तेमाल नहीं करते
शुक्र मनाओ कि ये ज़यादा दिमाग इस्तेमाल नहीं करते,
शायद इसीलिए ये अपनों से ज़्यादा
दूसरों के बारे में हैं सोचते।
एक अगर गिर भी जाए
तो दूसरा उसकी जगह खड़ा हो जाता है।
इतना कर्तव्यनिष्ठ होने के बाद भी
इनके हाथ कुछ ख़ास नहीं आता है।
फिर भी धरती का ये लाल
बिना कुछ सोचे
अपनी इस मातृभूमि के लिए
कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है।
इतनी मुसीबतों के बाद भी
ये देश के लिए अडिग खड़ा रहता है।
फौजी को बुलाओ ,पर हर बार दुःख में ही नहीं
कभी अपनी खुशियों में भी इन्हे याद फरमाओ।
– तान्या सिंह
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