“देश को तुम पर नाज़ है ”
घर से दूर, अपनों से दूर…
चल पड़ते हैं, ये एक जुनून लिए…
सो सकते हैं चैन से घरों में,
तब हम सब सुकून लिए…
मुल्क की हिफाजत,
बस यही एक चाहत…
रूके ना कदम इनके,
चाहे जैसी भी हो आफत..
डटे रहते हैं, लगे रहते हैं,
धूप, ठंड सब हंसकर सहते है …
जंग के मैदान के लिए हमेशा रहते राज़ी,
देश के लिए लगाते जान की बाज़ी…
मातृभूमि पर न्योछावर करते अपने प्राण,
वतन ही है उनके लिए उनकी जान…
ऐसे शूरवीरों को मेरा शत शत प्रणाम,
देश की मिट्टी के कण-कण में रहेगा तुम्हारा नाम…
तुम हो तो कल और आज है
देश को तुम पर नाज है…
जय हिंद
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