मैं हूँ, तू भी है
बस प्यार नहीं है
कभी रातों में यूँ ही हँसा देता है तू मुझे
तू होता नहीं फिर भी तुझे महसूस कर लेती हूँ
अपने ख़्वाबों में तुझको महफूज़ कर लेती हूँ
खामोशी का आलम पहले भी था, अब भी है
बस अब, उस अनकही आहट का इंतज़ार नहीं है
मैं हूँ, तू भी है
बस प्यार नहीं है
यूँ ही नहीं एक रोज़ मुझे परदा सा अपने बीच दिखा
यूँ ही नहीं बैठे हो, नाराज़ तुम हमसे
कह क्यों नहीं देते, चंन्द अलफ़ाज़, तुम हमसे
क्या भादो की पहली बारिश में धुल गया है प्यार तुम्हारा
कुछ तो है, जो तुम्हे हम पर ऐतबार नहीं है
मैं हूँ, तू भी है
बस प्यार नहीं है
एक बात बताऊं, प्यार कभी ऐसी ही नहीं मिट सकता
कुछ बात पुरानी है, दामन पर दाग लगाना चाहती है
है एक गलत फहमी, रिश्तों में आग लगाना चाहती है
आँखें कर लेती जो, लफ़्ज़ों में क्यूँ करें वो गुफ़्तगू
कौन कहता है वहाँ इश्क़ नहीं, जहाँ इज़हार नहीं है
मैं हूँ, तू भी है
बस प्यार नहीं है
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