कोशिशें करता हूँ हजारों
यूं ही कभी बात होती नही।
फिजाएं बहती है चाहत पाने के लिए
रोज तो सावन होता नहीं।
कह दो आसमां से आने दें बादल
यूं ही करीब वो आती नहीं।
रट गयी है किताबें सारी
हल कहीं नजर आता नहीं ।
आ जाता हूं दर खुदा के
यूं ही कोई इबादत करता नहीं ।
होठों पर हसीं , दिल में बैचैनी ?
यूं ही किसी की परवाह होती नहीं।
शायद रुके हुए हैं जसबात लबो पर
यूं ही किसी की आंखें नम होती नहीं।
है दुनिया में हसीन चेहरे लाखों
दिल को अब कोई और भाता नहीं।
कुछ तो बात होगी चाहत में उनकी
यूं ही किसी से दिल की पहल होती नहीं।
बता पाए जो अपने हर एहसास को
मैं वो गुलज़ार बन पाता नहीं ।
चला आता हूं बस्ती में तेरी
यूं ही किसी का दीदार मैं करता नहीं ।
समझ सके जो मेरी समझ को
ऐसी समझ कोई मिलती नहीं।
क्या करूं इस दिल को तेरे सिवा
यूं ही किसी से मोहब्बत होती नहीं ।
कोशिशें होती रहे करीब आने की
शायद मिल गयी है जिंदगी नयी ।
ढूढता हूं जब भीतर झांक के
यूं ही खुद से मैं जुदा होता नहीं ।
खुली आंखों से सपने देखना
नींद तो मुझे अब आती नहीं ।
लिख देता हूं भाव सारे
यूं ही कविता मैं लिखता नहीं ।
कोशिशें करता हूँ हजारों
यूं ही कभी बात होती नही।
Leave a Reply