रिश्तों का खेल

शीतल सी हवा है
मुस्कुराहट भी आज खफा है |

जीतेजी लोग सोचते रहे …..
दुःख में रहे तो अच्छा है |
तू आज भी रिश्तो के खेल में उतना ही कच्चा है |

जो सोचा वो मिला ही नही था…..
और जो पाया कही खो सा गया था |

चलो, दुश्मनी भुला कर नया दास्तान लिखे
हम मिलकर दोस्ती का नया इतिहास लिखे |

अरे ! दो पल की जिंदगी…..
क्या रोना और रुलाना ….
क्यों दुसरो को सबक सिखाना…..
क्यों किसी का दिल दुखाना |

बेडा अपना भी पार हो जायेगा….
लकिन साथ चलेंगे तो ज़िन्दगी अगर हो जायेगा |


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