कलम कह रही लिख दूं गाथा
स्वर्णिम हिंदुस्तान की
भूतकाल से वर्तमान तक
नारी के स्वाभिमान की
जी चाहता है लिखूं कथा मैं
राजनीति, विज्ञान की
जी कहता है लिखूं कहानी
इंदिरा , कल्पना की शान की
शौर्य लिखूं लक्ष्मीबाई का
विद्रोह की पहचान थी
और गार्गी का ज्ञान लिखूं
विद्वानों की विद्वान थी
भक्ति लिख दूं मीरा की
विष को अमृत बना दिया
दुर्गावती की शक्ति लिख दूं
मुगलों को जिसने रुला दिया
हज़रत महल का साहस लिख दूं
लखनऊ से संग्राम किया
धाय पन्ना का लिखूं समर्पण
पुत्र को बलिदान किया
इंदिरा गांधी की ताकत लिख दूं
बांग्लादेश आज़ाद किया
सुषमा स्वराज की लिखूं कुशलता
सबके दिलों पर राज किया
किरन बेदी की योग्यता लिख दूं
पहला पद ग्रहण किया
फूलन देवी की लिखूं चेष्टा
अपमान का प्रतिकार लिया
साक्षी, सिंधू की उपलब्धि लिख दूं
ओलंपिक में आन बचाई
कर्णम की लिखूं चुनौती
पहली थी जो मेडल लाई
ये तो कथा थी कुछ नामों की
असंख्य हैं नाम यहां
सबका सबकुछ लिख पाऊं
ये मेरी औकात कहां
जो लिखे , जो रह गए
सबको नमन करती हूं
जय हिन्द, जय हिन्दी कहकर
अब मैं कलम रखती हूं ।
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