सपनो का भारत

चलो बनाएं आज से अपना देश “महान”
नही महज एक शब्द हो सच में हो जो महान,
अमन चैन सुख शांति जहां हो सच्चाई भरपूर
ह्मी नही दुनिया में जिसका सभी करें गुणगान |
चलो चढ़ायें सबसे पहले कुछ श्रद्धा के फूल
जो शहीद हो गये देश पर उन्हे ना जाना भूल,
सरहद के वीरो पर भी जो तपन सर्द सहते हैं
घर की जब जब याद आए चुपके चुपके रोते हैं |
चलो चलें कुछ आँसू पोछे उस अनाथ बच्चे के
जिसका बचपन सिसक रहा ममता के आँचल बिन,
कंधे पर जिसके कचरे का थैला नही किताबें
रातें कटती फुटपाथों पर बोझा ढोते सारे दिन |
चलो बढ़ाएं देश को कुछ आगे ले जायें
बेरोज़गारी को प्राणोतन से दूर भगायें,
बेरोज़गारी एक बीमारी सी लगती है
कहां जायें चेहरों में बस लाचारी सी दिखती है,
इन्हे तमन्ना थी रोशन करें नाम जहां में
पर अब बातें सभी कटारी सी लगती हैं |
चलो करें ऐसा काम इंसान के भेश में
भूखे प्यासे लोग ना रह जायें देश में,
महलों में रहने वालों झोपड़ियों में झांक लो
उनका भी हो कोई हाल पूछने वाला,
हमदर्दी की हम मशाल जला दें देश में
अमीरी ग़रीबी का बंधन तोड़ आ जायें होश में |
चलो झांक लें अब अतीत के वातायन में
धू-धू कर जल रही वीर बालायें जौहर में,
ऐसा देश जहां अपनी अस्मत की खातिर
दे देतीं आहुति अपने तन की पल भर में,
उसी देश में रोज़ लुट रहीं “दामिनियाँ”
माँ पापा के आखों का जो तारा थी,
बन जातीं असहाय निरीह बेबस अबला
इंसान के चोले में छुपे जानवरों के चंगुल में |
चलो करें कुछ जतन देश आज़ाद बनायें
फिर से आज़ादी की एक मशाल सुलगायें,
कुछ नये दुश्मनों के चंगुल से देश बचाएँ
सूरज सा चमके जग में ऐसा अपना देश बनायें,
आँसू पोछे इन ज़ंजीरों में जकड़ी भारत माँ के
जनम दिया जिस माँ ने उसको अब न लजायें |


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