सैनिक:हमारे रक्षक।
जान हथेली पर लिए औरों के लिए जो फिरते है दैनिक।
कोई और नहीं मेरे पाठकों वे होते हैं सैनिक।।
इनके लिए होता है देश हीं है पूरी कायनात।
इसी की सेवा हेतु सीमा पर रहते हैैं तैनात।।
हमारी ही भांति होता इनका भी तो परिवार है।
परन्तु क्या करें ये भी सेवा-भाव सर पर सवार है।।
जाते है अपना परिवार छोड़ हर परिवार की रक्षा में।
कमी नहीं होती देश-प्रेम में भले हो चूक आत्म – सुरक्षा में।।
बाप,भाई,पति,बेटा इनकी और भी जिम्मेदारी है।
क्या कहूं आप सबसे ये कितने सम्मान के अधिकारी है।।
किसी एक पेड़ से निकले यह भी एक डाली है।
मोल करो सदैव इनका किसी के सिंदूर के ये भी लाली है।।
परिवार हीं जाने कैसे बीतता इनका महीना – साल है।
सीमा पर देश के लिए सदैव तत्पर जिनका लाल है।।
जाती हमारी ही सुरक्षा में हमेशा उनकी जान है।
जो नहीं जानते करना सम्मान इनका वो अब भी नादान है।।
कैसे मारे गए देश-रक्षा में इसके ये ही चश्मदीद है।
हृदय टूट जाता है सुनकर आज फिर जवान शहीद है।।
हमेशा ये जो हमें आराम से रहने की आदत है।
ये समझना आवश्यक है इसके पीछे शहादत है।।
भले हीं देखने में हम जैसे ही वे इंसान है।
परन्तु रक्षा करते देखो तो प्रतीत होते भगवान है।।
सुरक्षित हम हैं इनके ही कारण जीवन भी आबाद है।
कम ही होगा यह भी यदि रोज़ हम उनका धन्यवाद कहें।।
-रीना राय।।

सैनिक:हमारे रक्षक
by
Tags:
Leave a Reply