हिंदी भाषा मेरा अभिमान
बढ़ाएं विश्व में हिंदी का सम्मान
दिलाएं दैनिक क्रियाकलापों में स्थान
है यह वैज्ञानिक संस्कृत भाषा की संतान
नहीं सारे विश्व में कोई भाषा इसके समान
क ,ख, ग की वर्णमाला से होता इसका निर्माण
ध्वनि को आधार बनाकर होता इसका उच्चारण
दिनकर, बच्चन, मैथिली जैसे हजारों सेवक महान
गढ नया रूप देते इसको नयी पहचान
इसका स्पंदन डाल देता निष् प्राण में भी जान
आए आतंकी हजार ,
पर मिटा ना सके हिंदी का श्रृंगार
वीर रस घोल याद दिलाती
सैनिकों को उनका नाम ,नमक और निशान
करती यह राष्ट्र का नवनिर्माण
संपूर्ण देश को एक धागे में पिरोती
आज लोकप्रिय भाषा के रूप में जानी जाती
गूगल ने भी दिया हिंदी को स्थान
हिंदी के सानिध्य बिना,
अधूरा दिव्य -दृष्टि और ज्ञान
अत: हिंदी भाषा मेरा अभिमान|
Leave a Reply