मेरे प्रभु श्री राम

बजा के ढोल नगाड़े ,
चारों दिशाओं में कर दो ये ऐलान ।

लंकापति को कर पराजित ,
देखो आ रहे अयोध्या ,
मेरे प्रभु श्री राम ।।

नल-नील संग सुग्रीव बिभीषन,
आ रहे वीर हनुमान ।
अनुज लखन माँ सीता संग ,
पधारे प्रभु श्री राम ।।

माता कौशल्या के नैन के तारे ,
दशरथ के राज दुलारे ।
प्रज्वलित हो समस्त अयोध्या
पुरुषोत्तम श्री राम पधारे ।।

अहिल्या को करके श्राप मुक्त,
लंका को करके धर्म युक्त ।
हो के पुष्पक विमान पे सवार,
देखो आ रहे अयोध्या ,
मेरे प्रभु श्री राम ।।

मोक्ष प्रदान कर सबरी को ,
मोक्ष प्रदान कर कबन्ध को ,
कर पावन सरभंग को ,
कर पावन मतंग को ,

लेहरा के परचम रामराज का ,
लेकर आशीष ऋषि भारद्वाज का ।
लगा के वनवास पे पूर्णविराम ,
देखो आ रहे अयोध्या ,
मेरे प्रभु श्री राम ।।

अनुज भरत भी देखे राह,
थामे उभ पाणि में खराम,
ना जाने कब तक आएँगे ,
मेरे प्रभु श्री राम ।

मेरे प्रभु श्री राम ।

कवि – मनीष झा

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