समत संसार जब थम सा गया, म का नह पर चलता गया! संकट म जब जब आया यह देश, बना थके म बढ़ता गया!
कहां गए आधुनक पकवान? कहां गई वह ऊं ची कान? लेकन भूख लगी जब सबको , याद आया यह कसान?
सोचा आज ना होता म ? या खाते यह भूखे इंसान? ना धूप छांव बारश का यान, यह फज मेरा म ं कसान!
ना कभी मने कया अंतर, हो गरीब या अमीर इंसान! सबके घर म आज रखा है, मेरी मेहनत का अंजाम!
मेरा नाम न लेगा कोई, चाहे संकट हो या आम घड़ी, देखो उस खाने के पीछे, मेरी कतनी मेहनत है कड़ी!
कज के तले जब झुक जाता ं, जीना नह ,मरना चाहता ं, लेकन याद आ जाता है देश, जसक म म जमा ं!
इस महावीर योा को , म करती ं सलाम! फ है तेरे जबे पर, पंचा ंगी सबको यह पैगाम!
JAI KISAN!
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