Kavita

कविता

इस प्यारी सी जिंदगी में अपनी पहचान छोड़ जाती है
किताबों के पन्नों पर रहकर भी हमें जीना सिखा जाती है
एहसास इसका बस इतना ही है की एक युग बदल जाए
हां ये कविता ,जहाँ होती है अपनी याद छोड़ जाती है

बैरंग कागज पर बनने वाली रंगीन तस्वीर होती है
जिंदगी को फूलों से बाँधने वाली जंजीर होती है
क्या कहूँ अब की इसे मर कर भी नहीं भूल सकते
अपने प्यार डोर से बाँधने वाली तकदीर होती है
हर पल में देखने वाला इक ख्वाब बन जाती है
हां ये कविता, जहाँ होती है अपनी याद छोड़ जाती है

न जाने क्यूँ इसके कम शब्दों में भी जीवन का सार है
मानो की जमीं से लेकर स्वर्ग का दिदार है
काल्पनिक से वास्तविकता की है ये पहचान
तभी तो इसमें हर कलाओं की मनमोह धार है
मनचली हवाओं को यह मोड़ लाती है
हां ये कविता ,जहाँ होती है अपनी याद छोड़ जाती है

शायरों की शायरी का ख्वाब
टूटे हुए दिलों का शराब
प्यार भरी अदाओं का गुलाब बन जाती है
भावनाओं के सागर से भरी स्याही से लिखें
तो ये कविता कभी न उतरने वाला शबाब बन जाती है
कड़ी धूप में एक बहारों के मौसम का खुमार चढ़ाती है
हां ये कविता ,जहाँ होती है अपनी याद छोड़ जाती है

मुस्कान पर लिखने वाली वो पहचान है
शक्ति ,युक्ति ,साहस ,स्नेह
दृढ़ता के संकल्प का यही तो वो गुमान है
सिर्फ कोरे कागज पर यह जान लाने वाली
हर लेखनी की महकता से निकली हुई वो कविता महान है
मेरे जीने की चाहत बन कर रहना यूँ ही
ताकि मैं कह सकूँ की मेरी कविता ही मेरी पहचान है
शब्दों के साहिल से ये हमें हँसना रोना सीखा जाती है
हां ये कविता, जहाँ होती है अपनी याद छोड़ जाती है


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *