विध्वंस से
हमने देखी महाभारत की गोद में
प्यार की एक बूँद
पनपता एक नवयुग शिशु
परीक्षित |
हिरोशिमा की राख से अंकुरित होता
नया जापान |
होलिका की गोद से जन्म लेता
रंग और गुलाल में लिपटा हुआ
प्रहलाद |
रात ने जला डाला सब कुछ किन्तु
एक चिंगारी बची रह गई
फिर रंगीन करने को
सुबह |
फूलों पत्तियों से
कसम खा कर गया है
लौट कर ज़रूर आऐगा
बसंत |
एक तिनका रह गया था
बया की चोंच में
सुबह हर दाल पर लटके
हुए थे घोंसले अनगिन
ज़िन्दगी की चहचहाट से
गूंजता मौसम
दिशाएं कह रहीं हैं कल
रश्मि रथ पर आएगा
मंगल कलश।।।
[8/12, 11:26 AM] Madhu: नया वर्ष
बुझ चुकी है आग जंगल में पलाश के
उतरता जा रहा है रंग टेसू के
छीन कर होलिका की गोद से
पहलाद को अपने आँचल में
छिपा लिया है धरती ने
नया वर्ष मुस्काने
लगा है पालने में |
आगए स्वाद के सरताज
मीठे आम के दिन
जामुन जाम के दिन
संतरे तरबूज खरबूजे के दिन
पानी की सतह पर
काँटों का ताज पहने
तिकोने सिंघाडों की बेल
फेलती जा रही है |
कच्ची मूंगफली खोदकर
सिंघाडों के साथ खाने के दिन |
अलता लगाए गुड़हल के पैर
थिरकने लगे हैं
नए वर्ष का स्वागत |
बैगनी क्यारियों में
सर उठाने लगी है केशर
पझड के पत्तों की चीख सुन
गेंदे ने मलहम लगा कर कहा
रोने से कुछ नहीं होगा
उम्र का चौथा चरण
पीला हो कर सूख जाता है
कोई बच नहीं सकता
इस अनिवार्यता से
समय के साथ
उतर जाते है सारे रंग।।।
श्री शिवनारायण जौहरी विमल |
[8/12, 12:07 PM] Madhu: शहीद मरते नहीं बिस्मिल
एक बग्गी
पीछे केबिन में बैठा हुआ अंग्रेज़
आगे ऊँची सीट पर बैठा सईस
पुलिस की ड्रेस
एक हाथ में घोड़े की रास
दूसरे हाथ में चाबुक
हुकुम का गुलाम |
आगे कसा हुआ घोड़ा
चाबुक की मार खाता दौड़ता घोड़ा
गुलाम हिन्दुस्तान का नक्षा |
कोई शिकायत नहीं
घोड़े ने कर लिया था समझौता
अस्तबल रहने के लिए
खाने के लिए रातब
यह नागरिक डरा सहमा
गुलामों का गुलाम |
क्या इस घोड़े को
आज़ाद करवाने के लिए
सर फरोशी की तमन्ना की थी
क्या इसके किए
सर पर कफ़न बाँधा गया ?
वह तो अपने नरक में खुश था
क्या उनके लिए जो लड़ रहे थे
आजादी के लिए अपने तरीके से
और तुम्हारे रास्ते से डरते
तुमसे घ्रणा करते थे
जिन्होंने तुम्हारे त्याग को
बलिदान को कभी समझा नही ?
नहीं नहीं तुम लडे थे पूरे देश की
आजादी के लिए
देश की माटी के लिए |
१८५७ के बाद जो दमन चक्र चला था
गाँव के गाँव फूंके गए
खेत खलिहान जला कर
भुकमरी और दहशत फैलाई गई
जवानी लटका दी गई पेड़ों से
इस भयानक तांडव के बाद
जो तुम्हारे जैसे सरफरोशों
की टोलियाँ निकलीं
देश में नवोदय होने लगा |
दुनिया के हर देश ने
आजादी के लिए उत्सर्ग
को पूजा है सराहा है
मज़ार पर श्रद्धांजली दी है
पर हाय आज़ाद भारत देश के शासन
न तुम को शहीद का दर्जा मिला
न तुम्हारी चिताओं पर
लगाए गए मेले
न दी गई परिवार को पेंशन |
स्वतंत्रता संग्राम बहुतों ने लड़ा
अपने अपने तरीकों से
पर श्रेय सत्तारूढ़ दल ने
केवल अपनों को दिया |
तुम्हारा रास्ता सही था या गलत
तुम्हारी शहादत ने आजादी के
नव जागरण को हवा तो दी थी |
हवा में आज भी गूंजते है
सर फरोशी के तराने
शहीद मरते नहीं बिस्मिल
दिलों पर राज करते हैं |।।।
श्री शिवनारायण जौहरी विमल
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