प्रथम नमन मै करती उसको जिसने ये संसार बनाया,
दूजा नमन है चरणों में उनके जिसने ये संसार दिखाया।
फिर नतमस्तक हूं मै सामने है गुरुवर मेरे,
मातु पिता सा स्नेह दिया है भगवन मेरे।।
आज की चाल से मै भविष्य का काल लिख रही हूं,
आशा के सपनों से भावी का स्वर्णिम भाल लिख रही हूं।
जानती नहीं मुकद्दर नसीब क्या मैंने पाया ,
वर्तमान के सपनों से भावी का दिया जलाया ।
पता नहीं क्या लिखा है इन सपनों के भाग्य में,
सीप में पड़े मोती बनेंगे या गिर पड़ेंगे अंगार में।।
नहीं चाहती मै जीवन ऐसा,
वर्षों सा लंबा सदियों जैसा।
मेरे ईश्वर भले तू कुछ पल की जिंदगी का त्योहार दे,
मर सकू मै वतन पर ऐसा मुझे उपहार दे।
कतरा कतरा लहू का मेरे इस वतन पे कुर्बान हो,
अंतिम क्षण में लबों पे मेरे मां भारती का नाम हो।।
मेरे मरने पर तुम ऐसा व्यवहार करना,
मेरी लाश का ऐसा तुम श्रंगार करना…
तीन रंगों से सजी हो अर्थी मेरी ,
मुख में हो गंगे की पावन धरा।
जन गण मन वंदे मातरम् का सरगम हो
भारत की जय से गूंज अम्बर सारा।।
आस लगाती हूं भगवन से, है विनती बारम्बार,
जो मृत्यू का यही नसीब हो, तो स्वागत है शत बार।।
अंतिम इच्छा
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September 15, 2020
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