आखें नम हूई हर उस माँ की,
जिसके बेटे ने कहा की,
मेरे शव को देखकर रोना नहीं,
बचाऊँगा हर उस माँ व बहन को जिसे होगी मेरी जरुरत,
फिर आकर सो जाउँगा तेरी गोद में अगर मिली मुझे फुरसत।
आखें भर गई हर उस बहन की,
जिसके भाई ने कहा की,
राह न तू देखना मेरी बस यू ही आँगन सजाऐ रहना,
अगर में न लोंटू तो मेरी तसवीर के सामने राखी सजाऐ रहना।
दिल पे पतथर रखकर छोंड आई उसे दवार तक,
सोचके यही कि लौट आऐगा आज नहीं तो कल तक,
हर पल मुशकिल से कटने लगा था,
इंतजार हर दिन होने लगा था।
उसकी गाड़ी एक दिन चौराहे पर आई,
तिरंगे में लपेटे थी उसे लाई,
उनके आखों से आँसू थम नहीं रहे थे,
बस यादों के पिटारे खुल से रहे थे ।
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