तिरंगे में लिपटे कफन देखकर,
घर बैठे हर हिंदुस्तानी का ह्रदय जोरजोर से रोया है
दिल जुड़ने के दिन पर ही लाखों के दिल को तोड़ा है
आत्मा कह रही झंजोर के
जागो, आज तुम्हारे लिए कितनों ने अपना सवेरा खोया है
हर चौराहे पर तिरंगा लेकर बच्चा बच्चा दौड़ा है
काफिले चल पड़े थे जिनके, हम सबकी रखवाली में,
माँ ने नजर उतारी होगी, कुमकुम वाली थाली से
मस्तक पर विजय का तिलक लगा के भेजा था रण की मिट्टी में
कूटकूट के जोश भरा था उन वीरों की जवानी में
धरती के वो लाल चले थे, मिट्टी का कर्ज निभाने को
जज्बा था बिन उलझन के सरहद पर जान लुटाने का
थे बैठे वो तैयार हमेशा सीने में गोली खाने को
मगर शत्रु में अब बल नहीं था उनसे नजरें मिलाने का
वीरों के साहस और शौर्य के आगे कब शत्रु टिक पाए है
तो आज, युद्ध का मैदान छोड़ के, राह का रोड़ा बनके आए हैं
ले ली है जान उन्होंने मगर आन को ना छू पाए है
सम्मान में उनके आज हर कोई शीश झुकाए है
आज इजाजत मांग रहे हम शत्रु के बेड़े में घुस जाने को
चिंगारी सी भड़क रही है, बच्चे, बूढ़े, नौजवानो में
बहुत ढो लिया बोझ काधों पर ,अपने वतन के रखवालों का
अब कि वार करेंगे ऐसा की खेमे बदलेंगे उनके वीराने में
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