अँधेरा कुछ गहरा है,
दिया जलाए रखना…
बिलख रही भारत माँ
चीख रही भारत माँ
उम्मीद की बाती बुझ चुकी
तुम ही धैर्य रखना…
अँधेरा कुछ गहरा है,
दिया जलाए रखना…
आज़ादी भी मिली
आस की कली भी खिली
बदल चुकी अब खुशबू बदबू में
तुमको ही है इसे समेटना
अँधेरा कुछ गहरा है,
दिया जलाए रखना…
आज भ्रष्टाचार का सर ऊंचा है
शोषण के कीड़े ने किसकिसको भींचा है
लुट रही इज्ज़त पलपल बहु बेटियों की
तुम ही इसे बदलना
अँधेरा कुछ गहरा है,
दिया जलाए रखना…
तुम्हारे कांधों पर ही अब देश की आस है
तुम्हारे क़दमों पर ही अब सबको विश्वास है
कुछ कर दिखाओ अब तो
सिखा दो सबको संभलना
अँधेरा कुछ गहरा है,
दिया जलाए रखना…
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