कदम बढ़ाओ , चलते जाओ

अभी तो चलना है हमने सीखा
सफर बाकी, चलते जाओ , चलते जाओ जाओ जाओ
सूरज है डूबा , रात है काली
तमनाओं को लिए चलते जाओ

कंधे मिलाकर अब चलना होगा
कदम बढ़ाओ , चलते जाओ , चलते जाओ जाओ जाओ
दुश्मन की ख्वाहिश , आंधी या बारिश
सत्य को थाम , यही गीता ज्ञान

सब कह चुके तुम , सब सुन लिया है
कदम बढ़ाओ , चलते जाओ , चलते जाओ जाओ जाओ
कहने सुनने को कुछ भी न बाकी
कर्म की बांह तू थामे चल

जिस मिटटी पर तुम चलना थे सीखे,
उसके लिए, जलते जाओ, जलते जाओ जाओ जाओ
जलना और चलना निभा न पाए
उसी अस्तित्व पे है धिक्कार

माटी ही माँ है, उसके लिए तुम
कदम उठाओ, बढ़ते जाओ, बढ़ते जाओ जाओ जाओ
सत्ता की कुर्सी, आड़ धर्म की
अहिंसा सत्य जले सुबह शाम

तुमको है चलना, यह सब बदलना
निश्चय को ढृढ़ करते जाओ , करते जाओ जाओ जाओ
तुम ही चलोगे, तुम ही लड़ोगे
इस काले युग का यह घोर संग्राम

रंग बदलके जो इम्तिहाँ ले
दस्तक जो देता है अब बार बार
साहस और जज़्बा जो संग है तेरे
जीतेगा तू होगी उसकी हार
जीतेगा सत्य असत्य की हार

तुम ही चलोगे, तुम ही बदलोगे
इस काले युग में न ढूंढ भगवान
इस काले युग में न ढूंढ भगवान


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