इंसानियत ने खींच दी नफरत की दीवार ,
सजा दिए दो मुल्क नफरत की बुनियाद पर ,
तोड़ दिया हिंदुस्तान के दिल को टुकड़ों में ।
कहीं याद किया अल्लाह को ,
तो कहीं राम को ।
कही बने चाचा नेहरू
तो कहीं मोहमद जिन्नह
खड़ी कर दी नफरत की दीवार
और मार डाला इंसानियत ने इंसानियत को
कहते तो है आज़ाद भारत और पाकिस्तान
पर नफ़रत के नाम पर हर दिन मार देते है आवाम को
हे खुदा , वो हवा भी एक है
पानी भी एक है
जिस्म भी एक है
फिर क्यो धर्म के नाम पर मार डाला इंसानियत को
कयो इंसानियत ने मार ङाला इंसानियत ने इंसानियत कयो
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