वो कहते हैं कि जानवर ही तो है,
जानवर हैं तो क्या हम में जान नहीं,
क्या हमारी कोई पहचान नहीं,
शायद हमारे दर्द का तुमको कोई भान नहीं,
हमको भी दर्द सताता है,
हमको भी रोना आता है,
और तुम कहते हो हमको कोई ज्ञान नही,
हम जानवर हैं तो क्या हम में जान नही।।
हम जंगल की जान है, हम इस प्रकृति की शान है,
क्या तुम्हें ये ध्यान है, कि हमसे ही तुम्हारी पहचान है,
सभ्य होने का प्रचार, करते हो हम पर क्यों इतना अत्याचार,
कभी सरकस में नचाते हो, कभी वे वजह ही मार कर खुश हो जाते हो,
वे जुवां हम कुछ कह नही पाते है,
बस यूँ ही सब सह जाते है,
क्यों करते हो ऐसा व्यवहार,
क्या यही है तुम इंसानो का प्यार?
जानवरों का इंसानो से सवाल
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