दुनियाँ की रीत

कितनी ग़ज़ब ये दुनियाँ की रीत हैं,
जो जिसको मिल जाए वो उसकी तक़दीर हैं…
जन्म से कोई अच्छा या बुरा नही होता हैं,
जिस हालात में जन्म हो वो उसका नसीब होता हैं…
दुनियाँ कैसे दो हिस्सों में बिख़र गई हैं,
एक तरफ़ अमीर तो दूसरी तरफ़ ग़रीब हैं…
यहाँ हर किसी को दौलत की भुख हैं,
कोई ईमानदारी से कमाता है तो कोई बेईमानी से पेट भरता हैं…
कोई अपनी मर्ज़ी से किसी के सामने नही झुकता हैं,
हालात उसे बेबस बना देता हैं…
जब खाने को दो वक़्त का खाना ना मिले,
तब इंसान चन्द रुपये में बिक जाता हैं…
कैसा ये हाल है यहाँ,
एक को रुपये का मोल नहीं तो दूजे के लिए पैसा भी अनमोल हैं…
कितनी ग़ज़ब ये दुनियाँ की रीत हैं,
जो जिसको मिल जाए वो उसकी तक़दीर हैं…


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