“ ना हम भूले है, ना दुनिया भूलेगी, लम्हा वो।
जब, मार गिराया था आतंकियों को, घुसकर उनके अड्डों में। ”
➡ ये बात उस रात की है। जिस रात सारी दुनिया तो सो रही थी, लेकिन हमारे वीर-सैनिक, देश को आतंकियों से बचाने की तैयारियों में जुटे हुए थे। जिसे, मैंने अपने शब्दों में, कुछ यूँ बयाँ किया है। कि!
“ रात थी अंधेरी, सो रही थी, दुनिया सारी।
फिर भी, जग रहे थे, भारत के वीर सिपाही।
जज्बा था, देश पर मर मिटने का।
फैसला था, आतंकियो को मार गिराने का।
फिर, बाँध कफ़न, सर पे, वो चल पड़े।
मार गिराने, दुश्मनो को, वो निकल पड़े। ”
➡ फिर हमारे वीर-सैनिक, आतंकियों के अड्डे की तरफ बढ़ने लगते है। और एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाते हुए कहते है। कि!
“ आज उन्हें, सबक ये, सिखानी है।
मैं क्या हूँ, बात ये, उसे बतानी है।
ये टोली है, भारत के उन वीर जवानों की।
जो, डटे रहते निडरता से, हटते नही पीछे कभी।
डर कर, वो सब, भाग जाते हैं।
जब, कंधो से कंधे, हम मिलाते है। ”
➡ जब, हमारे देश के वीर-सैनिक आतंकियों के अड्डे पर पहुँच जाते है। तो आतंकियों से कहते है!
“ कितना साहसी, कितना निडर हूँ।
देख मुझे, तेरे सामने खड़ा हूँ।
सर काटे थे, जिनके तूने, धोके से।
बदला उनका, आज लेने, मैं आया हूँ।
फना होने की इजाजत ले आया हूँ।
तुम्हे मौत के घाट उतारने, मैं आया हूँ।
बड़ी गहराई है, मेरे देश के संस्कारों में।
बदौलत जिसके, आज तक, तूने ज़िन्दगी पायी है। ”
➡ और फिर आतंकियों को मार-गिराते हुए, हमारे वीर-सैनिक, शहीद-सैनिकों के बारे में, आतंकियों से कहते है। कि!
“ बुझ दिल नही, साहसी था वो, जो वतन पे मिट गया।
अमन चाहता था वो, शायद इसलिए, तेरे हत्थे चढ़ गया। ”
AMIRUDDIN SHAMS
Leave a Reply