एक छोटे से बालक को नामंज़ूर थी गुलामी ।
इसलिए बचपन के खिलौने छोड़ बंदूक उसने थामी ॥
उसका प्रण भारतमाता को स्वतन्त्र कराना था ।
और अंग्रेेजी हुकूमत को भारत के दामन से दूर भगाना थ॥
मन में उसके स्वतंत्रता की तेज़ धधकती ज्वाला थी ।
था वो बड़ा वीर क्योंकि गले में उसके तिरंगी माला थी ॥
इंकलाब का नारा उसका असरकारी हो गया ।
और हर सच्चा भारतवासी क्रांतिकारी हो गय॥
अपनों की इस लड़ाई में उसको अपनों ने ही लूटा ।
फिर क्या था ?उसका दामन अपनों से ही छूटा ॥
अंग्रेज़ो की अदालत में बिक गए भारतवासी ।
स्वतंत्रता की इस लड़ाई में उसको मिल गयी फांसी ॥
अपनी निडरता से अंग्रेज़ी हुकूमत की कुर्सी उसने हिलाई ।
इसलिए कायर अंग्रेज़ो ने उसकी फांसी जल्दी लगाई ॥
उसका बलिदान १९४७ को कामयाब हो गया ।
और उसके संघर्ष से भारत आज़ाद हो गया ॥
पावनी शर्मा
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