हे मातृभूमि ममतामयी नमन करें हम शीश नवा,
करो प्रदान सामर्थ्य हमें ,रक्षा में तुम्हारी सब दे लुटा ,
हम काम ,लोभी,पापी बालक हैं तेरे माँ,
आँचल में अपनी दो जगह,
थक हार गए इस जग के तानों बानों में,
गोदी में हमको लो सुला ।
ममतामयी माता माफ करो ,
जो भूल चूक हुई हमसे,
जग में आखिर कौन भला ,
जो त्यागी हो तुमसे बढ़के ।
मैं वचन आज ये देती हूँ,
सर्वस्व लुटा दूंगी तुमपे ,
जो आँच लाये इस पावन आँचल पर,
अस्तित्व मिटा दूंगी उसका ,
जो आन पड़े तुमपे ज़रा भी,
तो शीश कटा दूंगी अपना ,
हे ममतामयी मातृभूमि जननी,
तेरी रक्षा में मैं दम तोड़ू,
तेरी गोद में जीवन को छोड़ूँ,
बस जीवन का है यही सपना।
ममतामयी जननी
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