मैं निकला खुद को खोजने
जिदंगी ही जंग है , बस अपनो से ही रंज है।
वो काली रात स्याह में क्यों भटक रहा मनुष्य है।।
मैं निकला खुद को खोजने अतीत मुझे मिल गया।
देख स्वर्ण भविष्य को मैं अदंर से ही हिल गया।।
वक्त मुझ से कह गया अब तू खुद को जान ले।
ले परीक्षा अपनो की , तू अपनो को पहचान ले।।
तू खुद पर बस यकीन कर, कर हौसलों यों बड़े।
तेरे राह में देख ले अनंत देव हैं खड़े ।।
हा तू महर्षि है।नित्य कार्य लिप्त संघर्षि है।
तू ऐसे न निराश हो न खुद को यों हताश कर।।
तू निकला खुद को खोजने तू थोडा इंतजार कर।
हर सुख को यों त्याग कर बस तू आगे बढता जा।
न पिछे मुड के देख अब लगातार यूं ही चलता जा।।
तू नहीं अकेला है कायनात तेरे साथ है।
तू ऑंख खोलकर देख ले भगवान तेरे पास है।।
तू बस इतंजार कर तेरा टाईम आऐगा।
तेरी इच्छा पुर्ति को वक्त भी रूक जाऐगा।।
बस खुद को खुद से जीत ले तू आसमां को छू लेगा।
जीत कर इंद्रियो को तू अंजाम सारे पा लेगा।।
तू ऐसे न निराश हो न खुद को यों हताश कर।
तू निकला खुद को खोजने तू थोडा इंतजार कर।।
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