शायद ज़िंदा, या शायद मुर्दा,
मै वापिस आऊंगा |
तिरंगा लहराकर, या तिरंगे में लिपटकर,
मै वापिस आऊंगा |
चुनौतियों से नहीं डरा कभी,
तो मौत से क्यों घबराऊँगा ?
फ़ौज के सामने निहथ्था लड़कर भी,
मै वापिस आऊंगा |
दिल-ओ-जान कुर्बान तुझपे,
ए माँ ! तुझे ना भूल पाउँगा |
युद्धभूमि तो क्या; जन्नत से भी,
मै वापिस आऊंगा |
अरे शहीद हूँ मै यारों,
सिर्फ आंख नहीं, दिल को भी रुलाऊंगा |
सच नहीं तो स्वप्न में ही सही,
मै वापिस जरूर आऊंगा ||
-योगीराज ब्रह्मभट्ट
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