राष्ट्र वंदना
पुण्य प्रसूता पावन धरणी, वन्दे भारत मातरम् ।
अभिनन्दन वंदन भव भरणी, वन्दे भारत मातरम्।।
अभिनन्दन वंदन ………..
शीश मुकुट पर हिमगिरि सोहे, चरण चूमता है सागर।
दसों दिशाएँ धान्य लुटातीं,
भरती हैं इसकी गागर।
शस्य श्यामला वसुंधरा का,
छ: ऋतुएँ श्रृंगार करें।
स्रोत सनातन सूरज चन्दा, उजियारे के शुभ आगर।
परम पुनीता लौकिक तरणी,
वन्दे भारत मातरम्।।
अभिनन्दन वंदन….
शून्य दिया दुनिया को इसने, संस्कार सद्ज्ञान दिया। सत्य-अहिंसा-त्याग-प्रेम से,
मानव का उत्थान किया।
भाईचारा रहे जगत में,
विश्व बंधुता अपनाई।
नैतिकता की रक्षक बनकर,
सब धर्मों को मान दिया।
स्वर्णमयी गाथाओं वरणी,
वन्दे भारत मातरम्।।
अभिनन्दन वंदन…..
निर्माणों की नई डगर की,
भारत भू संवाहक है।
अनुसंधानों की श्रेणी की,
मौन मूक गुण गाहक है।
जीत लिया मंगल का दंगल, दुनिया लोहा मान चुकी।
अद्भुत अनुपम मिली सफलता, चेतनता की वाहक है।
सतत साधना मंगल करणी,
वन्दे भारत मातरम्।।
अभिनन्दन वंदन …….
केसर क्यारी से केरल तक,
प्रेम भावना अमर रहे।
समरसता का उज्ज्वल आँचल, ध्येय साधना अमर रहे।
स्वतंत्रता का सही अर्थ तो, मानवता का पोषण है।
स्वर्ग सरीखी इस धरती की,
पुण्य कामना अमर रहे।
जन-गण-मन की चिंता हरणी, वन्दे भारत मातरम्।।
अभिनन्दन वंदन ….
भरत शर्मा ‘भारत’
18, शिवपुरी, बैंक ऑफ इंडिया के पीछे, कालवाड़ रोड़ झोटवाड़ा, जयपुर – 12 (राजस्थान)
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