लो काली रात आ गई

लो आज फिर काली रात आ गई

उन दरिंदो की हैवानियत फिर मेरी एक बहन की आबरु मिटा गई

लो आज फिर काली रात आ गई।

दिन के उजाले को वो दरन्दगी अमावस्या बना गई

फिर एक बेटी का अस्तित्व मिटा गई

लो आज फिर काली रात आ गई।

न जाने इन पापियों की आत्मा कहाँ सोती होगी

ना हो किसी की बहन बेटी , माँ तो ज़रूर होती होगी

अरे ! ओ नीच हरकत करने वालों सुनो

कोई रोए न रोए तुम पर , तुम्हारी माँ ज़रूर रोती होगी।

जब वो अबोध बालिका उन राक्षसों से घिरी होगी

हाथ पावँ जोड़कर उसने सिसकियाँ भरी होगी

माँ ने घर पर गरमा गरम रोटियां पकाई होगी

पिता ने सारी पगडंडियां ताकि होंगी

कौन जानता था कि उस रात वो नन्ही कलि घर न गई ,

उसकी रूह उन दरिंदो क आगे अपना दम तोड़ गई

लो आज फिर काली रात आ गई।

उसकी हर चीख यही पूछ रही होगी

आखिर क्या गलती की थी उसने

क्यों उसे ये सजा भुगतनी पड़ी,

जाते जाते बस ईश्वर से प्रार्थना कर रही होगी कि

मेरे साथ जो हुआ ना भूलना न भुलाने देना

फिर किसी माँ से उसकी बेटी ना छीनने देना

फिर किसी पापा की लाडली को ये ना भुगतने देना

किसी और को ‘गुड़िया’ ना बनने देना।

लो आज फिर एक बेटी के लिए काली रात आ गई

आज फिर मेरी एक बहन का अस्तित्व मिटा गई

लो आज फिर काली रात आ गई ।।

-प्रियंका शर्मा..


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *