Covid-19 फ़िलहाल कुछ ऐसा है

हर एक मन में सवाल उठ रहा
कथावाचन लगातार चल रहा
साँसे थमी है एक आश बनकर
ना कोई धंधा व्यापार चल रहा
बंद पड़ी है खिड़कियाँ
चबूतरा सुना साँझ कर रहा
ज़िन्दगी एक बूँद पानी-सा है
वह भी जलकर राख बन रहा
चौकोने पेज जैसा दुनिया उसका
उसे हीं बेच अपना पेट भर रहा
आग लगी है मौत के तराज़ू में
जाशूअ,वाहेगुरु,ईश्वर,अल्लाह
सारा जहाँ कर रहा ……….
जीने की तमन्ना उस अधेड़ उम्र की भी है
रास्ता चलता वह नाक बाँध रहा
ढीली पड़ी है कमान जिसकी
वह दुनिया को अलविदा कर रहा
धनुष पकड़ बैठे ह सभी
पता नहीं किधर से बाड़ चल रहा
महाभारत की रणभूमि-सा …..
क्या फिर कोई हमें लाईव कर रहा
बंद होगा यह राज कबतक
कितनी दुआएँ एक साथ मर रहा
ज़प्त क़र लो खुदको……..
हिंदुस्तान कह रहा
बुलबुलें हैं इसकी उड़ान का उद्देश्य भर रहा
ऐ आशाएँ दीप बनकर जलते रहना है
सोने की चिड़िया बार-बार कुछ कह रहा
चमक उठेगा इसमें ज्वालामुखी-सा उबल रहा ।


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